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चंद्र ग्रहण रविवार 07 सितम्बर को, जानिए किन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव और क्या करें उपाय

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इस वर्ष का चंद्र गहण सितंबर के प्रथम सप्ताह में पड़ेगा और यह भारत में दृश्यमान रहेगा। रविवार 07 सितम्बर 2025 की रात्रि को खग्रास चंद्रग्रहण लगेगा जो भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में भी दिखेगा। ज्योतिषाचार्य पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी के अनुसार भारत में इस ग्रहण का स्पर्श 07 सितम्बर को रात्रि 09:53 बजे और मोक्ष 08 सितम्बर को रात्रि 01:22 बजे होगा। कुल ग्रहण काल 03:29 घण्टे का है। शक्ति ज्योतिष केन्द्र, लखनऊ के अनुसार भाद्रपद (भादों) पूर्णिमा को शतभिष नक्षत्र, कुंभ राशि में होने वाले खग्रास चंद्र ग्रहण का प्रभाव प्रत्येक राशि के जातकों पर इस प्रकार रहेगा। राशि और उन पर प्रभाव मेष - लाभ  वृष - सुख  मिथुन - मान हानि  कर्क - अति कष्ट  सिंह - स्त्री कष्ट  कन्या - सुख  तुला - चिन्ता  वृश्चिक - व्यथा  धनु - लक्ष्मी प्राप्ति  मकर - क्षति  कुंभ - घात  मीन - हानि यह उपाय करें ग्रहण जनित कष्ट से राहत पाने के लिए ग्रहण लगने से पूर्व ही स्नान करके श्री विष्णु सहस्र नाम या श्री राम रक्षा स्तोत्र या पुरुष सूक्त या श्री रामचरित मानस का पाठ करना चाहिये।...

कन्हैया की नगरी ढोल-नगाड़ों की आवाज तो कहीं बांसुरी की धुन से गूंजी

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श्रीकृष्ण जन्मस्थान से सांस्कृतिक शोभायात्रा के साथ श्रीकृष्णोत्सव 2025 का हुआ शुभारंभ कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी  नारायण, डीएम, सीईओ ने ढोल बजाकर लोक कलाकारों का बढ़ाया उत्साह मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा शुक्रवार को निकाली गई सांस्कृतिक शोभायात्रा के साथ ही श्रीकृष्णोत्सव 2025 का श्री गणेश हो गया। शुभारंभ गन्ना विकास एंव चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने ढोल बजाकर किया। जिलाधिकारी सीपी सिंह और उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह, श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान से गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने भी ढोल बजाकर शोभायात्रा में शामिल लोक कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। शोभायात्रा में लोक कलाकारों की लोक लुभावनी प्रस्तुतियों ने समा बांध दिया। श्रीकृष्ण जन्म स्थान के मुख्य द्वार से शुरू हुई शोभायात्रा में शामिल लोक कलाकारों का जगह जगह स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। शोभायात्रा में विभिन्न टोलियों में कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जा रही लोक कला को देखकर जन्माष्टमी पर दर्शन को देश विदेश से मथुरा आए श्रद्धालुओं ...

Video - योगी सरकार के मंत्रियों को अफसर नहीं दे रहे भाव, एक मंत्री धरने पर बैठा तो दूसरे ने पब्लिक प्लेस पर निकाली खीझ

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में अपने मंत्रालय में बैठकर शासन-सत्ता का सुख भोगने वाले मंत्रियों का हाल बेहाल है। बीते 24 घंटे के अंदर दो ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें यह साफ हुआ है कि अफसर, मंत्रियों को भाव नहीं दे रहे हैं। अपने इलाके में ही जन समस्या का निपटारा नहीं करवा पाने पर एक मंत्री को धरने पर बैठना पड़ा, तो वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में होने के बावजूद इलाकाई विधायक और योगी सरकार में मंत्री को नजरअंदाज कर पुल को आवागमन के लिए खुलवा देने पर  नेता जी ने पब्लिक प्लेस पर अपनी खीझ निकाली। पहला मामला 5 अगस्त का है, जिसमें राज्य मंत्री सुरेश राही को अपने इलाके में खराब ट्रांसफार्मर को बदलवाने के लिए JE से बात करने पर यह जवाब मिला कि खुलवा कर ले आओ और यहां से ट्रांसफार्मर लेकर आओ। JE के इस बेअंदाजी वाले रुख से भड़के नेताजी ने समर्थकों के साथ ट्रांसफार्मर को खुलवाया और उसे लेकर बिजली दफ्तर पहुंच गए और वहां पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने जब इस मामले की जानकारी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के अफसरों को देनी चाहिए तो मंत्री जी के फोन को किसी ने अटेंड नहीं किया। बाद में मामले के संज्...

पिंगली वेंकैया : वह महान स्वतंत्रता सेनानी जिसने डिजाइन किया था भारत का राष्ट्रीय ध्वज

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पिछली शताब्दी में सन 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में भारत के जिस राष्ट्रीय ध्वज को महात्मा गांधी ने स्वीकृति दी थी, उसे पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 में हुआ था। उन्हें पट्टी वेंकैया के नाम से भी जाना जाता था। ब्रिटिश आर्मी से 19 साल की उम्र में जुड़ने वाले पिंगली वेंकैया ने साउथ अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध में भी हिस्सा लिया था। राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने के बाद 'झंडा वेंकैया' के नाम से भी वह लोगों के बीच लोकप्रिय हुए। सन 1913 में आंध्र प्रदेश के एक कस्बे बापटला के एक स्कूल में जापानी भाषा में एक पूर्ण व्याख्यान देने के कारण उन्हें 'जापान वेंकैया' के रूप में भी प्रसिद्धि मिली।  वर्ष 1916 में राष्टों के झंडों पर एक पुस्तिका में भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज, जिसमें भारतीय ध्वज बनाने के लगभग 30 डिजाइन पेश किए गए थे, उसमें से उनके डिजाइन को ही राष्ट्रीय ध्वज के लिए चुना गया। 4 जुलाई 1963 को 87 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।

Video - पीएम ने अर्थव्यवस्था को लेकर कही यह बात, स्वदेशी पर दिया जोर

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बाबा विश्वनाथ की धरती काशी में थे। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने विश्व की अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाश डाला। साथ ही भारत के आर्थिक मजबूती का भी जिक्र किया। इस दौरान उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पीएम-किसान निधि की 20वीं किस्त जारी की। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्पोर्ट्स, टूरिज्म और कनेक्टिविटी से जुड़े कई प्रोजेक्ट का उद्घाटन और शिलान्यास भी उन्होंने किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मैं आज अपने व्यापार जगत के भाई-बहनों से विशेष आग्रह करना चाहता हूं कि जब दुनिया इस प्रकार की अस्थिरता के माहौल से गुजर रही है तो हम भी सिर्फ और सिर्फ स्वदेशी माल ही बेचेंगे। ये संकल्प भी देश की सच्ची सेवा होगी।' प्रधानमंत्री ने कहा कि देशवासी हर पल अब स्वदेशी ही खरीदेंगे। ये महात्मा गांधी को बड़ी श्रद्धांजलि होगी।

Video - भारतीयों को गर्व से भर देते हैं यूनेस्को की लिस्ट में शामिल ये 12 मराठा किले

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हाल के अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि यूनेस्को ने 12 मराठा किलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। इनमें से 11 किले महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में हैं। प्रत्येक किला इतिहास के एक पन्ने से जुड़ा है। इसका प्रत्येक पत्थर एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी है, जो भारत के शौर्य और बलिदान की विरासत है।

Video - पीएम मोदी तमिलनाडु के आदि तिरुवथिराई महोत्सव में शामिल हुए और शिव आराधना का आनंद लिया

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तमिलनाडु में थे। प्रधानमंत्री तमिलनाडु के गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिराई महोत्सव में रविवार को शामिल हुए। यहां उन्होंने मंदिर में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा अर्चना और आरती की।  बाद में अरियालुर स्थित गंगईकोंडा चोलापुरम मंदिर में महोत्सव में प्रसिद्ध संगीतकार पद्म भूषण इलैयाराजा के निर्देशन में महोत्सव में आयोजित संगीत कार्यक्रम में शिव जी की संगीतमय आराधना का भी आनंद लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिष्ठित गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में आदि तिरुवथिरई महोत्सव को संबोधित किया।  यह एक ऐसा उत्सव है जहां विरासत और दिव्यता का मिलन होता है। महान सम्राट राजेंद्र चोल उत्तर से दक्षिण तक पवित्र गंगा जल लाए और उसे वर्तमान पोन्नेरी झील में प्रवाहित किया, जो सांस्कृतिक एकीकरण का प्रतीक है। आज उस क्षण के सम्मान में एक बार फिर काशी से गंगाजल लाया गया, जिससे 1000 साल पुरानी परंपरा पुनर्जीवित हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर तमिलनाडु में चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विशेष स्मृति सिक्का भी जारी क...