समाज को जीवनी शक्ति देता है लोक साहित्य : पद्मश्री विद्याविन्दु सिंह


  • लोक भाषाओं पर चर्चा संग शुरू हुआ लोक विमर्श
  • पहले दिन बुंदेली, कन्नौजी और कुमाऊंनी पर चर्चा
  • डॉ. करुणा पाण्डेय की कृति कुमाऊँ के गीत का लोकार्पण

लखनऊ। लोक भाषाओं पर चर्चा के साथ बुधवार को दो दिवसीय लोक विमर्श की शुरुआत हुई। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा अलीगंज के यूपी महोत्सव मेला परिसर में आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन वक्ताओं ने बुंदेली, कन्नौजी और कुमाऊंनी भाषा, वहां के साहित्य और लोक जीवन पर चर्चा की। 

वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डे. विद्याविन्दु सिंह, लोकविद डॉ. रामबहादुर मिश्र, कुमाऊं कोकिला विमल पन्त, मुनालश्री विक्रम बिष्ट व अन्य गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति में बुन्देली लोक साहित्य अध्येता महेन्द्र भीष्म, कन्नौजी विशेषज्ञ डॉ. अपूर्वा अवस्थी, कुमाऊंनी विशेषज्ञ डॉ. करुणा पाण्डेय ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर साहित्यकार डॉ. करुणा पाण्डेय की कृति कुमाऊं के गीत का लोकार्पण और लोक चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता के संचालन में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।

पद्मश्री डॉ. विद्याविन्दु सिंह ने कहा कि लोक साहित्य समाज को जीवनी शक्ति देने का कार्य करता है। यह श्रुति परम्परा के माध्यम से पीढ़ियों में हस्तांतरित होती है। डॉ. करुणा पाण्डेय ने पर्वतीय अंचल के लोक वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हुए इसे सर्वसमावेशी बताया।

महेन्द्र भीष्म ने कहा कि बुंदेली लोकजीवन में स्वाभिमान सर्वोपरि है और इसके साहित्य में शौर्य को विशेष स्थान मिला है। डॉ. अपूर्वा अवस्थी ने कन्नौजी लोक संस्कृति को धर्मप्राण बताते हुए उसके समृद्ध लोक विरासत पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. संगीता शुक्ला ने कुमाऊं के गीत पुस्तक पर चर्चा की, वहीं वरिष्ठ लोक गायिका विमल पन्त ने पारम्परिक कुमाऊंनी गीत सुनाया। रीता पाण्डेय ने 'पग-पग लिये जाऊं तोहरी बलइया' तथा उदीयमान गायिका राशि श्रीवास्तव ने 'कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार' की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में सर्वश्री अनिल पाण्डे, मीरा दीक्षित, वरिष्ठ लोक गायिका ऋचा जोशी, संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, आशीष गुप्ता, सुनील अग्रवाल, नीरा मिश्रा, आभा शुक्ला, सरिता अग्रवाल, शारदा शुक्ला, सोनल ठाकुर, विश्वम्भर अवस्थी, कैप्टन प्रखर गुप्त, नैमिष सोनी, राजनारायन वर्मा, पूनम माथुर, सर्वेश माथुर, अंबुज अग्रवाल, रागिनी अग्रवाल, हर्षिका जायसवाल, देवेश्वरी पंवार, ललिता श्रीवास्तव, भूषण अग्रवाल, अखिलेश द्विवेदी, किरन यादव, दानवीर सिंह व आशुतोष राय सहित अन्य उपस्थित रहे। गुरुवार को लोक विमर्श में अवधी और भोजपुरी लोक भाषाओं पर चर्चा, संस्थान के वार्षिक सम्मान का वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

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