भारत ही नहीं विश्व स्तर पर उद्योग जगत के प्रमुख स्तंभ थे रतन टाटा


  • दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली अंतिम सांस 

लखनऊ। भारतीय उद्योग जगत के सूर्य रतन टाटा का निधन हो गया है। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में जन्मे टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूह का लंबे समय तक सफल नेतृत्व किया है। समूह की स्थापना जमशेदजी टाटा ने की। उनके परिवार की पीढ़ियों ने इसका विस्तार कर इसे और शक्तिशाली बनाया।

नेल्को में मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के दौरान दिखाया दूरदर्शी दृष्टिकोण

रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पनी लिमिटेड (नेल्को) का डायरेक्टर-इन-चार्ज 1971 में नियुक्त किया गया। एक कम्पनी जो सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी, उसके लिए रतन टाटा ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए। जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा जब रतन टाटा ने कार्य भार सम्भाला तो उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाजर में हिस्सेदारी 2% थी और घाटा बिक्री का 40% था। 

फिर भी जेआरडी ने रतन टाटा के सुझाव को माना। 1972 से 1975 तक अन्ततः नेल्को ने अपनी बाजार में हिस्सेदारी 20% तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया, लेकिन 1975 में प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी ने आपात स्थिति घोषित कर दी। जिसकी वजह से आर्थिक मन्दी आ गई। इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्यायें हुईं, इसलिए मांग बढ़ जाने पर भी उत्पादन में सुधार नहीं हो पाया। टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया। सात माह के लिए तालाबन्दी कर दी गई। रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका।

1977 में रतन टाटा को Empress Mills सौंपा गया, यह टाटा नियन्त्रित कपड़ा मिल थी। जब उन्होंने कम्पनी का कार्य भार सम्भाला, यह टाटा समूह की बीमार इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे सम्भाला और यहां तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। चूंकि कम श्रम गहन उद्यमों की प्रतियोगिता ने Empress जैसी कई उन कम्पनियों को अलाभकारी बना दिया, जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था। रतन टाटा के आग्रह पर कुछ निवेश किया गया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। चूंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि Empress का कुल उत्पादन था), Empress को भारी नुकसान होने लगा। बॉम्बे हाउस, टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनिओं से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लम्बे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए कुछ टाटा निर्देशकों मुख्यतः नानी पालकीवाला ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अन्त में 1986 में बन्द कर दिया गया। रतन टाटा इस फैसले से बेहद निराश थे। एक समाचार पत्र साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि Empress मिल जारी रखने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये की जरूरत थी।

सन 1981 में बनाए गए समूह अध्यक्ष

वर्ष 1981 में रतन टाटा इंडस्ट्रीज और समूह की अन्य होल्डिंग कम्पनियों के अध्यक्ष बनाए गए। जहां वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपान्तरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक थे। 1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयरमेन का कार्य भार सम्भाला। टाटा ने पुराने को बहार निकाल कर युवा प्रबन्धकों को जिम्मेदारियां दीं। तब से लेकर उन्होंने टाटा ग्रुप के आकार को ही बदल दिया है। जो आज भारतीय शेयर बाजार में किसी भी अन्य व्यापारिक उद्यम से अधिक बाजार पूंजी रखता है। रतन टाटा के मार्गदर्शन में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस सार्वजनिक निगम बनी। टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई। 1998 में टाटा मोटर्स ने उनके संकल्पित टाटा इंडिका को बाजार में उतारा।

31 जनवरी 2007 को रतन टाटा की अध्यक्षता में टाटा संस ने कोरस समूह को सफलतापूर्वक अधिग्रहित किया, जो एक एंग्लो-डच एल्यूमीनियम और इस्पात निर्माता है। इस अधिग्रहण के साथ रतन टाटा भारतीय व्यापार जगत में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गये। इस विलय के फलस्वरूप दुनिया को पांचवां सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक संस्थान मिला।

सच हुआ सपना 

रतन टाटा का सपना था कि 1 लाख रुपये लागत की कार बनायी जाए। नई दिल्ली में ऑटो एक्सपो में 10 जनवरी 2008 को इस कार का उद्घाटन करके उन्होंने अपने सपने को पूर्ण किया। टाटा नैनो के तीन मॉडलों की घोषणा की गई। रतन टाटा ने सिर्फ 1 लाख रुपये कीमत की कार बाजार को देने का वादा पूरा किया। साथ ही इस कीमत पर कार उपल्बध कराने के अपने वादे का हवाला देते हुये कहा "वादा एक वादा है"।

26 मार्च 2008 को रतन टाटा के अधीन टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कम्पनी से जगुआर और लैण्ड रोवर को खरीद लिया। ब्रिटिश विलासिता की प्रतीक जगुआर और लैंड रोवर (Land Rover) 1.15 अरब पाउण्ड ($ 2.3 अरब) में खरीदी गई।

निजी जीवन

रतन टाटा एक शर्मीले व्यक्ति रहे। समाज की झूठी चमक-दमक में विश्वास नहीं करते थे। सालों से मुंबई के कोलाबा में किताबों एवं कुत्तों से भरे हुये फ्लैट में रह रहे थे। रतन टाटा ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया था।

पलौनजी मिस्त्री के छोटे बेटे और शपूरजी-पलौनजी के प्रबंध निदेशक सायरस मिस्त्री ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक एवं लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री ली थी। वो टाटा संस की सबसे बड़ी शेयरधारक कंपनी शापूरजी पैलनजी के प्रबंध निदेशक भी थे। मिस्त्री के बाद अब माया टाटा उनके कार्य देख रही हैं। वह रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा के परिवार से हैं।

पुरस्कार और मान्यता

भारत के 50वें गणतंत्र दिवस समारोह पर 26 जनवरी 2000 रतन टाटा को तीसरे नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें 26 जनवरी 2008 को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे नैसकॉम ग्लोबल लीडरशिप (NASSCOM Global Leadership) पुरस्कार 2008 प्राप्त करने वालों में से एक थे। ये पुरस्कार उन्हें 14 फ़रवरी 2008 को मुम्बई में एक समारोह में दिया गया। रतन टाटा ने 2007 में टाटा परिवार की ओर से परोपकार का कारनैगी पदक प्राप्त किया।

रतन टाटा भारत में विभिन्न संगठनों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत थे। वे प्रधानमंत्री की व्यापार एवं उद्योग परिषद के सदस्य रहे। मार्च 2006 में टाटा को कॉर्नेल विश्वविद्यालय द्वारा 26वें रॉबर्ट एस सम्मान से सम्मानित किया गया। आर्थिक शिक्षा में हैटफील्ड रत्न सदस्य, वह सर्वोच्च सम्मान जो विश्वविद्यालय कंपनी क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्तियों को प्रदान करती है। 

रतन टाटा के विदेशी संबंधों में मित्सुबिशी निगम (Mitsubishi Corporation), अमेरिकन इंटरनेशनल समूह (American International Group), जेपी मॉर्गन चेज़ (JP Morgan Chase) और बूज एलन हैमिल्टन (Booz Allen Hamilton) के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्यता शामिल है। वे रैंड निगम (RAND Corporation) और अपनी मातृसंस्था (alma mater) : कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University) और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (University of Southern California) के न्यासी मंडल के भी सदस्य थे।

वे दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की अंतरराष्ट्रीय निवेश परिषद के बोर्ड सदस्य और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के एशिया -पैसिफिक सलाहकार समिति के एक सदस्य थे। टाटा एशिया पैसिफिक पॉलिसी के रैंड केंद्र के सलाहकार बोर्ड, पूर्व-पश्चिम केन्द्र के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में हैं। बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) के भारत एड्स इनिशीएटिव कार्यक्रम बोर्ड में सेवारत हैं। फरवरी 2004 में रतन टाटा को चीन के झोज्यांग प्रान्त में हांग्जो (Hangzhou) शहर में मानद आर्थिक सलाहकार की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

उन्हें हाल ही में लन्दन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स (London School of Economics) से मानद डॉक्टरेट की उपाधि हासिल हुई और नवम्बर 2007 में फॉर्च्यून पत्रिका ने उन्हें व्यापर क्षेत्र के 25 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया। मई 2008 में टाटा को टाइम पत्रिका की 2008 की विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया। टाटा की अपनी छोटी एक लाख रुपये की 'नैनो' कार के लिए सराहना की गई। 

जीवन परिचय 

जन्म 28 दिसम्बर 1937 (आयु 86) बॉम्बे, बंबई प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया (वर्तमान में मुम्बई, महाराष्ट्र), आवास कोलाबा, मुम्बई, राष्ट्रीयता भारत, जाति पारसी, शिक्षा की जगह कॉर्नेल विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, पेशा टाटा समूह के निवर्तमान अध्यक्ष, कार्यकाल 1962–2012, धर्म पारसी पन्थ, जीवनसाथी अविवाहित, माता-पिता, नवल टाटा (पिता) और सोनू टाटा (मां), संबंधी जेआरडी टाटा (चाचा), सिमोन टाटा (सौतेली मां), नोएल टाटा (सौतेला भाई)।

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