Video - पूर्व सीएम चंपाई सोरेन 'कोल्हान' की ताकत से झारखंड में जमाएंगे पैर
दर्द-ए-दिल का इजहार कर झारखंड की सियासत में अपने तेवर से खलबली मचाने वाले पूर्व CM चंपाई सोरेन, अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता की पहचान को पीछे छोड़कर राज्य की सियासत में आर-पार की लड़ाई लड़ने का मन बनाते दिख रहे हैं। झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन 'गुरु जी' के साथी रहे चंपाई सोरेन राज्य के कोल्हान क्षेत्र ही नहीं पूरे झारखंड में 'टाइगर' उपनाम से भी पहचाने जाते हैं। माना जा रहा है कि आदिवासी, मूलवासी और दलित बहुल 'कोल्हान' की ताकत के दम पर राज्य की सियासत में चंपाई सोरेन पैर जमाते हुए अपनी नई पारी खेलेंगे।
मान-सम्मान की लड़ाई तक पहुंच चुके चंपाई सोरेन ने अब संन्यास नहीं लेने का फैसला करते हुए राज्य की सियासत में अपना नया दल बनाने और अपनी सोच के करीब रहने वाले साथी दलों के साथ क्षेत्रीय सियासत में डटने का संकेत दिया है। बुधवार को झारखंड के पूर्व CM चंपाई सोरेन ने कहा, 'मैं राजनीति से संन्यास नहीं लूंगा। हम नया संगठन भी बना सकते हैं। अगर रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिला तो दोस्ती करके आगे बढ़ेंगे और समाज व राज्य की सेवा करूंगा। जनसमर्थन ने हमारा हौसला बुलंद कर दिया है।'
झारखंड की सियासत में पूर्व CM सोरेन का 'धमाका', CM हेमंत सोरेन की परेशानी बढ़ी
कोल्हान की यह है सियासी ताकत
केंद्र की वाजपेयी सरकार के शासन में बिहार से अलग कर सन 2000 में नए बने राज्य झारखंड का सियासी मिजाज मूलवासी-आदिवासी बहुल है। प्राकृतिक और खनिज संसाधनों से भरपूर झारखंड में कोल्हान वह क्षेत्र है, जहां से राज्य की 14 विधानसभा सीटें आती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में झामुमो ने यहां की 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य में कुछ ही महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में इसी इलाके की सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक और अपनी मजबूत पहचान रखने वाले चंपाई सोरेन के झामुमो से अलग होने की स्थिति में इलाकाई सियासत में पार्टी पर असर पड़ने के आसार हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ले रहे हैं हालात का जायजा
झारखंड के मुख्यमंत्री और झामुमो के प्रमुख हेमंत सोरेन फिलहाल सारे हालात का जायजा ले रहे हैं। उन्होंने मंगलवार को कोल्हान क्षेत्र के चार विधायकों से मुलाकात की। इन विधायकों के बारे में यह चर्चा चल रही थी कि ये चंपाई सोरेन के संपर्क में हैं और उनके साथ जा सकते हैं। हेमंत सोरेन से मिलने वालों में झामुमो के पोटका से विधायक संजीव सरदार, घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती और जुगसलाई के विधायक मंगल कालिंदी शामिल रहे। झामुमो का दावा है कि इन विधायकों ने एक स्वर में कहा है कि वे पार्टी और हेमंत सोरेन के साथ हैं। इस दौरान CM से ईचागढ़ की विधायक सविता महतो ने भी मुलाकात की थी।
राज्य में 81 सीटों पर होते हैं चुनाव
झारखंड की 82 सदस्यीय विधानसभा में 81 सीटों पर चुनाव होते हैं। एक सीट मनोनीत सदस्य के लिए है। अभी राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल व भाकपा माले के 47 विधायकों के साथ सरकार में है। विपक्ष में भारतीय जनता पार्टी, आजसू, दो निर्दलीय और एक अन्य दल के विधायक हैं। चार विधानसभा सीटें खाली हैं।
जाहिर है, झामुमो के संस्थापक अध्यक्ष गुरु जी के साथी रहे चंपाई सोरेन का अगला कदम पार्टी ही नहीं राज्य की सियासत में भी असर डालने वाला साबित हो सकता है। शायद यही वजह है कि झामुमो सुप्रीमो हेमंत सोरेन अभी चंपाई सोरेन के खिलाफ खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं और ना ही पार्टी ने उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई अभी तक की है। आने वाले समय में यह साफ हो जाएगा कि झामुमो का अपने साथी दलों के साथ सीटों का बंटवारा चंपाई सोरेन के नए दल के अस्तित्व में होगा या उनके पार्टी के साथ रहते हुए।
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