कारगिल हवाई पट्टी पर पहली बार रात में उतरा भारतीय वायु सेना का सी-130जे विमान


नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना ने दुर्जेय हिमालयी परिदृश्य में गरुड़ फोर्स के साथ रात में विमान की लैंडिंग करके इतिहास रच दिया। इससे पहले वर्ष 2023 की नवंबर में वायु सेना ने उत्तराखंड में एक अल्पविकसित और चुनौतीपूर्ण हवाई पट्टी पर दो लॉकहीड मार्टिन ‘सुपर हरक्यूलिस’ सैन्य परिवहन विमानों को सफलतापूर्वक उतारकर अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था।

दरअसल, केंद्र सरकार चीन और पाकिस्तान से लगी विभिन्न हवाई पट्टियों को सामरिक दृष्टिकोण से कई तरीकों से उपयोग के लिए अपग्रेड कर रही है। इसी क्रम में भारतीय वायु सेना के सामरिक परिवहन विमान सी-130जे ने पहली बार कारगिल हवाई पट्टी पर गरुड़ फोर्स के साथ रात्रि लैंडिंग की। 

कई चुनौतियां पेश करती है 8,800 फीट ऊंचाई वाली यह हवाई पट्टी

दुर्जेय हिमालयी परिदृश्य में यह हवाई पट्टी 8,800 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है, जो विमान चालकों के लिए अद्वितीय चुनौतियां पेश करती है। भारतीय वायु सेना ने इस उपलब्धि के महत्व पर रात्रि लैंडिंग का एक वीडियो साझा करने के साथ ही बयान में कहा, ‘पहली बार परिवहन विमान सी-130जे ने कारगिल हवाई पट्टी पर एक रात की लैंडिंग की। रास्ते में इलाके को ढंकते हुए इस अभ्यास ने गरुड़ के प्रशिक्षण मिशन को भी पूरा किया।‘ यह सफल रात्रि लैंडिंग न केवल वायु सेना की सावधानीपूर्वक योजना को दर्शाती है बल्कि इसके पायलटों की विशेषज्ञता को भी उजागर करती है।

इस हवाई अड्डे का निर्माण 1996 में जम्मू और कश्मीर सरकार ने नागरिक संचालन के लिए किया था। बाद में इसे भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) को पट्टे पर दिया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल अघोषित युद्ध स्थल के रूप में प्रमुखता से उभरा और यह हवाई अड्डा पाकिस्तान की गोलाबारी के दायरे में होने से संवेदनशील था। कारगिल युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त होने के बाद सन 2003 में इसका परिचालन नियंत्रण और रखरखाव भारतीय वायु सेना को हस्तांतरित कर दिया था। 

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