बिजली इंजीनियर्स ने मनाया संकल्प दिवस, '29 नवंबर' के संघर्ष को याद किया
- उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के बैनर तले विद्युत अभियन्ताओं ने बुधवार को मनाया ‘संकल्प दिवस’
- बिजली इंजीनियरों के 29 नवम्बर 1979 के अप्रतिम त्याग एवं बलिदान के अविस्मरणीय अध्याय को याद किया
लखनऊ। विद्युत अभियन्ताओं ने प्रत्येक वर्ष की भांति इस साल भी बुधवार 29 नवम्बर को प्रदेश भर में संकल्प दिवस मनाया। लखनऊ मुख्यालय पर संकल्प दिवस का आयोजन हाईडिल फील्ड हॉस्टल में किया गया। इस दिन विद्युत अभियन्ता 29 नवम्बर 1979 को हुए अविस्मरणीय आन्दोलन में सम्मिलित होने वाले नायकों को साधुवाद देते हुए उनके बलिदान की इसी गाथा को समय आने पर दोहराने के लिए प्रतिवर्ष ‘संकल्प दिवस’ पर संकल्प लेते हैं। उस आन्दोलन में नारा था, ‘हम अभियन्ता हैं याचक नहीं-सेवा करेंगे तो हक भी लेंगे’, जो आज भी आंदोलनों में गूंजता है।
इस अवसर पर आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष ई. शैलेन्द्र दुबे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अभियंताओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि 28-29 नवम्बर की रात में पनकी बिजली घर से गिरफ्तारी का समाचार मिलते ही 29 नवम्बर की सुबह से बिजली इन्जीनियरों ने हजरतगंज कोतवाली के सामने कतारबद्ध होकर स्वेच्छा से गिरफ्तारी देना शुरू कर दिया। उस दौरान ऐसा माहौल पैदा हो गया, जिसमें सरकार के मिनी मीसा के टुकड़े हजरतगंज की नालियों में बहते देखे जा सकते थे। उन्होंने बताया कि 1600 से अधिक बिजली अभियंताओं ने स्वेच्छा से गिरफ्तारी दे कर उप्र की जेलों को भर दिया। लगभग 100 अधीक्षण अभियंताओं और मुख्य अभियन्ता ने फौलादी एकता का परिचय देते हुए स्वेच्छा से गिरफ्तारी देकर प्रदेश सरकार की दमनकारी नीतियों को धता बता दिया।
श्री दुबे के अनुसार अन्ततः सरकार को झुकना पड़ा, सरकार वार्ता की मेज पर आयी, मांगों को माना गया और सभी अभियंताओं की बिना शर्त रिहाई हुई। उसके बाद समयबद्ध वेतनमान अर्थात पदोन्नति न हो तो भी एक निश्चित समय के बाद पदोन्नति पद का वेतनमान मिले और 1969, 1974 तथा 1979 से तीन वेतन पुनरीक्षण की मांग को लेकर यह आंदोलन हुआ था किन्तु आन्दोलन अप्रतिम त्याग एवं बलिदान की मिसाल बन इतिहास बन गया।
विद्युत अभियन्ता संघ के महासचिव इं. जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि आजादी के मतवालों की तरह इस आन्दोलन में सम्मिलित होने वाले नायकों को साधुवाद देते हुए बलिदान की इसी गाथा को समय आने पर पुनः दोहराने के लिए प्रति वर्ष ‘संकल्प दिवस’ पर हम यह संकल्प लेते हैं। अभियन्ताओं को उसी मनोबल के साथ वर्तमान न्याय के पथ पर चल रहे संघर्ष में निर्भय होकर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने हेतु प्रेरित किया।
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं. राजीव सिंह ने इस अवसर पर अभियन्ताओं को प्रतिवर्ष की तरह निम्न संकल्प दिलाया -
‘मैं शपथ लेता हूँ कि 29 नवम्बर 1979 को अपने समुदाय की प्रतिष्ठा एवं आत्म-सम्मान के लिए जिस प्रकार मेरे हजारों साथियों ने स्वेच्छा से गिरफ्तारी देकर, जेल यातना स्वीकार की थी किन्तु दमन, अन्याय, उत्पीड़न और बर्बरता के समक्ष समर्पण करना स्वीकार नहीं किया था। उसी प्रकार अपने समुदाय की प्रतिष्ठता एवं आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए, मैं कोई भी बलिदान देने के लिए सदैव तत्पर रहूँगा। संगठन के प्रति अटूट निष्ठा रखते हुए मैं संगठन के निर्देशों का सदा पालन करने की सौगन्ध लेता हूँ।’
लखनऊ में आयोजित इस अवसर पर इं. राजीव सिंह, इं. जितेन्द्र सिंह गुर्जर, इं. आलोक कुमार श्रीवास्तव, इं. अजय द्विवेदी, इं. सौरभ सिंह यादव, इं. देवेन्द्र बहादुर सिंह, इं. गौरव ओझा, इं. राहुल सिंह, इं. बृजेश सिंह, इं. हरीश अवस्थी, इं़ प्रीति, इं. सीपी मौर्या, इं. मुकुन्द मिश्रा, इं. शिवनाथ शुक्ला और इं. तुषार आदि सम्मिलित हुए।


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