नेपाल भागने से पहले यूपी का मोस्ट वांटेड बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी बिहार से गिरफ्तार

17 साल से थी तलाश 

  • बिहार के रक्सौल से कैन्ट और एसओजी टीम ने पकड़ा, शाम तक गोरखपुर आएगा 
  • कैन्ट थाने से गैंगस्टर के मुकदमे में वांछित था, जारी हुए थे 60 से ज्यादा एनबीडब्ल्यू

गोरखपुर। नेपाल भागने की फिराक में लगा यूपी के टॉप 45 माफिया की सूची में शामिल गोरखपुर का बाहुबली व कभी माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ल का साथी रहा पूर्व विधायक राजन तिवारी बिहार के रक्सौल से गिरफ्तार कर लिया गया है। गोरखपुर की कैन्ट पुलिस व एसओजी की टीम मंगलवार की रात से बिहार में डेरा डाले थी।

टीम में शामिल कैन्ट थाने के विश्वविद्यालय चौकी इंचार्ज अमित चौधरी व एसओजी प्रभारी मनीष यादव ने बिहार पुलिस की मदद से राजन तिवारी को गुरुवार की सुबह अरेस्ट किया। टीम उसे लेकर गोरखपुर के लिए रवाना हो गयी है। देर शाम तक राजन को गोरखपुर कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

गैंगस्टर के मुकदमे में था वांछित

राजन तिवारी मोतिहारी के गोविंदगंज से विधायक रह चुका है। उसके खिलाफ बिहार और यूपी में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अकेले गोरखपुर में उसपर 36 से ज्यादा मुकदमे हैं। वह कैन्ट थाने में दर्ज गैंगस्टर के मुकदमे में वांछित था और करीब 60 एनबीडब्ल्यू कोर्ट से जारी था। उस पर गोरखपुर पुलिस की तरफ से 20 हजार रुपये का इनाम भी था। पुलिस की तीन टीमें सीओ कैन्ट श्यामदेव बिंद की अगुवाई में लगातार एक महीने से उसको पकड़ने के लिए दबिश दे रही थी।

बिहार के मोतिहारी की पुलिस को सूचना मिली थी कि राजन तिवारी नेपाल भागने की फिराक में है। उसके मोतिहारी में ही छिपे होने की सूचना यूपी पुलिस को दी गई। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में उन्हें रक्सौल के हरैया ओपी थाना क्षेत्र से 18 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया गया। मोतिहारी के एसपी कुमार आशीष ने राजन तिवारी की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। गोरखपुर कैंट के इंस्पेक्टर शशिभूषण राय व एसओजी प्रभारी उप निरीक्षक मनीष यादव ने भी उसको गिरफ्तार कर यूपी लाने की पुष्टि की है।

बीजेपी की सदस्यता लेने पर हुआ था विवाद 

राजन का नाम यूपी के टॉप माफिया की लिस्ट में है। उसे गोरखपुर कैंट थाने में दर्ज 1996 के हत्या के दो मामलों में आरोपी बनाया गया था। इस केस में गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला भी सहआरोपी था। राजन तिवारी पर यूपी और बिहार में 40 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजन तिवारी ने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ली थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था। इसके बाद वो पार्टी से साइड लाइन कर दिया गया था।

कई एनबीडब्ल्यू के बाद भी पुलिस की पहुंच से था दूर

बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी 17 साल से कोर्ट से जारी कई एनबीडब्ल्यू के बाद भी गायब था।योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने के साथ ही सभी जिलों से पुलिस ने नए सिरे से माफिया की सूची बनानी शुरू की थी और 100 दिन में उनके खिलाफ कार्रवाई का लक्ष्य निर्धारित किया था। पूरे प्रदेश में 61 माफियाओं की सूची तैयार हुई थी। जिसमें गोरखपुर जिले से बिहार के पूर्व विधायक राजन तिवारी का नाम भी शामिल किया गया है। एडीजी अखिल कुमार ने राजन तिवारी का नाम शासन को भेजा था। इसके साथ ही पूर्व विधायक राजन तिवारी के केस और सम्पत्ति की पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी थी। अभी तक की जांच में राजन के नाम की सम्पत्ति की जानकारी पुलिस नहीं जुटा पाई है। 

मुकदमों में ही कर दिया गया था खेल

इस बीच मुकदमो की जांच शुरू हुई तो इसमें कुछ खेल सामने आया। कैंट थाने में दर्ज मुकदमों से जो रिपोर्ट आई, उसमें बताया गया कि राजन को सभी मामले में बरी कर दिया गया है। हालांकि जब कोर्ट में जांच शुरू हुई तो मामला कुछ और ही निकला। इसी दौरान गैंगस्टर के एक केस की जानकारी हुई जिसमें श्रीप्रकाश को गैंग लीडर तो राजन तिवारी व अन्य को सक्रिय सदस्य बताया गया था। गैंगस्टर की इस फाइल की जांच में पता चला कि 2005 से राजन तिवारी के खिलाफ कई बार एनबीडब्ल्यू जारी हो चुका है, पर पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। यह प्रकरण जैसे ही सामने आया उसके बाद पुलिस महकमे में हड़कम्प मच गया।

एडीजी अखिल कुमार ने दिए गिरफ्तार करने के निर्देश

एडीजी अखिल कुमार ने एनबीडब्ल्यू का हवाला देते हुए एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर को राजन को गिरफ्तारी कर कोर्ट में पेश कराने का निर्देश दिया था। जिसके बाद एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई की निगरानी और सीओ कैंट श्यामदेव बिंद के नेतृत्व में गोरखपुर एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने टीम गठित कर राजन की गिरफ्तारी का लक्ष्य दिया। टीम में एसएचओ कैंट, एसओजी और सर्विलांस टीम को लगाया गया था। उसे तलाश रही पुलिस ने आखिरकार  बिहार के रक्सौल से राजन को गिरफ्तार कर लिया।

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