देश के 14वें उप राष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़, वकालत से सियासत तक सफर तय किया
नई दिल्ली। देश के 14वे उप राष्ट्रपति पद की पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को शपथ ली। जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। 71 वर्षीय धनखड़ ने हिन्दी में ईश्वर के नाम पर शपथ ली। शपथ लेने के बाद उन्होंने जैसे ही हस्ताक्षर किए, राष्ट्रपति ने कहा, ‘बहुत-बहुत बधाई।’
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, निवर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, विधानसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सभी नेता और सरकार के मंत्री मौजूद थे। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सहित विपक्ष के भी कई बड़े नेता इस अवसर पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर धनखड़ को बधाई दी और उनके सफल और उपयोगी कार्यकाल की कामना की।
शपथ ग्रहण करने से पहले धनखड़ ने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। बापू के स्मारक पर जाने के बाद धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘पूज्य बापू को श्रद्धांजलि देते हुए राजघाट की शांत भव्यता में भारत की सेवा में तत्पर रहने के लिए अपने आप को धन्य एवं प्रेरित महसूस किया।’
बीती 06 अगस्त को उप राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष की प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा को पराजित कर चुनाव जीतने वाले धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है। वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
सियासत में इस तरह आगे बढ़े धनखड़
राजनीतिक क्षितिज में पिछले कुछ वर्षों के दौरान धनखड़ के उदय ने बहुत सारे लोगों को आश्चर्य में डाला है। कभी राजनीति में आने को लेकर अनिच्छुक रहे धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में चर्चा में आए जब अक्सर उनके और वहां की राज्य सरकार के बीच टकराव की खबरें सुर्खियां बनती थीं। यही कारण रहा कि वह कई बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के निशाने पर आए। कभी जनता दल के साथ रहे धनखड़ सन 2008 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को ओबीसी का दर्जा दिलाने की मांग और ओबीसी से जुड़े कई अन्य मुद्दों की जोरदार ढंग से वकालत की। राजस्थान में झुंझुनू जिले के एक सुदूर गांव में किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूलए चित्तौड़गढ़ से पूरी की। भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, दोनों में वकालत कर चुके हैं। अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से चौधरी देवीलाल से जुड़े हुए थे। चौधरी देवीलाल ने 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उन्हें उतारा था। धनखड़ ने चुनाव में जीत दर्ज की।
वीपी सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्री बने
झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ बीजेपी में शामिल हो गए। सन 1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे।



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