गैस्ट्रोपेरेसिस : एक अनजाना गंभीर पाचन रोग


गैस्ट्रोपेरेसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट की मांसपेशियों की गति धीमी या असामान्य हो जाती है, जिसके कारण भोजन पेट से छोटी आंत की ओर ठीक से नहीं बढ़ पाता। इससे मरीज को बार-बार उल्टी, पेट में भारीपन, सूजन, भूख न लगना और पाचन में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं। यह बीमारी मधुमेह, सर्जरी, वायरल संक्रमण, तंत्रिका तंत्र की समस्याओं या कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण हो सकती है। यह जानकारी जयपुर के प्रमुख गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. आकाश माथुर ने कोलकाता में भारतीय न्यूरोगैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और मोटिलिटी एसोसिएशन के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन में दी।

बीमारी के ये हैं प्रमुख लक्षण

 डॉ. आकाश माथुर ने बताया कि गैस्ट्रोपेरेसिस के प्रमुख लक्षणों में लगातार उल्टी, पेट में दर्द, जल्दी पेट भर जाना, भोजन के बाद असहजता और वजन में कमी शामिल हैं। कई बार मरीज इन लक्षणों को सामान्य गैस या एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो स्थिति को और जटिल बना सकता है। उन्होंने एक मामले का जिक्र किया, जहां एक मरीज की उल्टी की समस्या को शुरू में गैस और एसिडिटी माना गया, लेकिन जांच में गैस्ट्रोपेरेसिस का पता चला। निदान के लिए पेट की गति और कार्यक्षमता का मूल्यांकन करने वाले विशेष परीक्षण जैसे गैस्ट्रिक एम्प्टिंग स्टडी, एंडोस्कोपी, मैनोमेट्री आदि किए जाते हैं।

किसी को भी हो सकती है यह बीमारी 

डॉ. माथुर ने बताया कि हमारे शरीर के अनेक रोग पाचन तंत्र से जुड़े हुए हैं। यदि पाचन तंत्र में कोई गड़बड़ी आ जाती है, तो यह कई समस्याओं को जन्म दे सकती है, जो कभी-कभी खतरनाक भी हो सकती हैं। गैस्ट्रोपेरेसिस का सबसे आम कारण मधुमेह है, क्योंकि उच्च रक्त शर्करा स्तर वैगस नर्व को नुकसान पहुंचा सकता है, जो पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित करता है। इसके अलावा, पेट या अन्य सर्जरी, पार्किंसन रोग, स्क्लेरोडर्मा, थायरॉइड विकार, कुछ कैंसर उपचार या वायरल संक्रमण जैसे नोरोवायरस भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकते हैं। कुछ मामलों में कारण स्पष्ट नहीं होता, जिसे इडियोपैथिक गैस्ट्रोपेरेसिस कहा जाता है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन महिलाओं में इसके मामले अधिक देखे गए हैं। 

डॉ. माथुर ने बताया कि पाचन तंत्र की अधिकांश समस्याएं जीवनशैली से जुड़ी हैं। गैस्ट्रोपेरेसिस के उपचार में आहार में बदलाव, दवाएं, एंडोस्कोपिक प्रक्रियाएं और गंभीर मामलों में सर्जरी शामिल हो सकती है। मरीजों को छोटे-छोटे और बार-बार भोजन करने, तरल आहार को प्राथमिकता देने, वसा और रेशेदार भोजन से परहेज करने की सलाह दी जाती है। कुछ दवाएं पेट की गति को बढ़ाने और उल्टी को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।

उन्होंने जोर देकर कहा कि नियमित योग, सैर, व्यायाम, संतुलित आहार, शराब और धूम्रपान से दूरी, पर्याप्त नींद और तनाव प्रबंधन से पाचन तंत्र और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

लक्षण नजरअंदाज नहीं करें

 डॉ. माथुर ने लोगों से अपील की कि लगातार उल्टी, पेट में भारीपन या भोजन पचने में दिक्कत जैसे लक्षणों को गैस या एसिडिटी समझकर नजरअंदाज न करें। सही समय पर विशेषज्ञ से जांच और उपचार से रोगों और विकारों को नियंत्रित किया जा सकता है। अधिवेशन में विश्व-प्रसिद्ध और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने गैस्ट्रोपेरेसिस के निदान और उपचार की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा की।

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