अक्षय तृतीया बुधवार को, जानिये क्या है इसका महत्व
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन किया गया पुण्य अक्षय होता है।
शक्ति ज्योतिष केन्द्र के अनुसार इस वर्ष की अक्षय तृतीया बुधवार 30 अप्रैल को सूर्योदय के पहले से ही लग जायेगी और शाम तक रहेगी। दिनभर रोहिणी नक्षत्र रहेगा। सायं 04:58 बजे से भद्रा लगेगा।
बुधवार को ही भगवान श्री परशुराम जी की जयन्ती भी मनायी जायेगी।
प्राचीन काल में धन धान्य की प्रचुरता थी। लोग पुण्य लाभ के लिए स्वर्ण (सोना) दान करते थे, तबसे अक्षय तृतीया को सोना ख़रीदने की परम्परा बन गयी।
अक्षय तृतीया की महत्ता के और भी बहुत से कारण हैं जैसे -
- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था।
- महर्षि परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था।
- माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था।
- द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था।
- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था।
- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था।
- सतयुग और त्रेता युग का प्रारम्भ आज ही के दिन हुआ था।
- ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी आज ही के दिन हुआ था।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी का कपाट आज ही के दिन खोला जाता है।
- वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में साल में केवल आज ही के दिन श्री विग्रह चरण के दर्शन होते हैं, अन्यथा साल भर वो वस्त्र से ढके रहते हैं।
- इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।
पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी के अनुसार अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इस अवसर पर कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।
- पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी
शक्ति ज्योतिष केन्द्र लखनऊ - 12


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