योगी फार्मूला अपनाने पर विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस हाईकमान ने टाइट किया, Video ने बढ़ाई दिक्कत
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के रेस्टोरेंट व ढाबा के संचालकों आदि को अपना नाम-पता बताने वाली नेम प्लेट लगाने के निर्देश को अपनाने की राह पर बढ़ने की कोशिश करने वाले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह की दिक्कत बढ़ गई है। विक्रमादित्य सिंह के योगी फार्मूला को हिमाचल प्रदेश में लागू करने का वीडियो सामने आने के तीन दिन बाद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें इस मुद्दे पर तलब कर टाइट कर दिया है।
कांग्रेस हाईकमान ने विक्रमादित्य सिंह को राहुल गांधी की सोच और कांग्रेस की नीतियों को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ाने के स्पष्ट निर्देश देने के साथ उन्हें इस मामले में अब किसी तरह का नियम-कानून लागू करने और बयान देने से स्पष्ट मना कर दिया है। कांग्रेस हाईकमान का दावा है कि सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उनका इरादा ऐसा नहीं था।
शुक्रवार को मीडिया में सामने आए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के बयान के अनुसार कहा गया है कि उनसे साफ कहा गया है कि कि कांग्रेस पार्टी का कोई भी मंत्री या पार्टी पदाधिकारी पार्टी की नीतियों और विचारधाराओं के खिलाफ नहीं जा सकता। राहुल गांधी नफरत के खिलाफ प्यार और स्नेह फैला रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे प्यार और स्नेह की बात करते हैं। हम नफरत पैदा नहीं कर सकते। वेणुगोपाल ने माना कि हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी हाईकमान से मुलाकात की है। वेणुगोपाल ने कहा कि हमने उन्हें बहुत स्पष्ट रूप से बताया कि कांग्रेस की विचारधारा और नीतियां इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं। हमें उसी अनुरूप काम करना है।
लोकप्रिय नेता वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं विक्रमादित्य सिंह
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय नेता रहे पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के पुत्र हैं। राज परिवार का हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पर अच्छा प्रभाव है। उनकी मां प्रतिभा सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश अध्यक्ष हैं। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जयराम ठाकुर सरकार के दोबारा रिपीट नहीं होने पर राज्य में कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाई। प्रतिभा सिंह काफी कोशिश के बाद भी राज्य की मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं। सुक्खू सरकार बनने के कुछ महीने बाद कांग्रेस पार्टी में बगावत भी हुई थी। कुछ विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ हो गए थे। तब यह बात मीडिया में जोर-शोर से सामने आई थी कि मंत्री विक्रमादित्य सिंह और ये विधायक भाजपा से नजदीकियां बनाए हुए हैं। बाद में यह मामला ठंड पड़ गया। बागी विधायक कांग्रेस पार्टी से बाहर हो गए और उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़े पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
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