मानदेय नहीं, स्थायी करके वेतनमान देने की आवाज बुलंद की बीएड-एमएड प्राध्यापकों ने
- सभी बीएड-एमएड प्राध्यापकों को स्थायी कर वेतनमान दे सरकार : डॉ. तनवीर यूनुस
रांची। झारखण्ड राज्य में सत्र 2005-06 से 22 अंगीभूत महाविद्यालयों में संचालित दो वर्षीय बी.एड कोर्स और 2009-10 से तीन सरकारी विश्वविद्यालय में संचालित एमएड कोर्स में संविदा पर कार्यरत प्राध्यापकों ने पद सृजन, समायोजन और पूर्ण वेतनमान के लिए आज को राज भवन के सामने, जाकिर हुसैन पार्क स्थित धरना स्थल पर संघ के संरक्षक डॉ. तनवीर यूनुस, अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार एवं कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. संजय भुइयां के संयुक्त तत्वावधन में एक दिवसीय धरना एवं शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।
संघ के संरक्षक डॉ. तनवीर यूनुस ने कहा कि बीएड-एमएड कोर्स में कार्यरत सभी प्राध्यापकों को 'समान काम के बदले, समान वेतनमान सरकार' को देना चाहिए। इस हेतु राज्य में संचालित सभी सरकारी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में जहां बीएड-एमएड की पढ़ाई हो रही है, उन सभी में स्थाई शिक्षा विभाग हेतु पद सृजित कर कार्यरत सभी प्राध्यापकों को पूर्ण वेतनमान देने का कार्य राज्य सरकार करे क्योंकि झारखण्ड राज्य के अलग होने के पश्चात संविदा पर कार्यरत हम सभी प्राध्यापकों का योगदान राज्य के शैक्षणिक और टीचर ट्रेनिग कोर्स में अहम है।
संघ के महासचिव डॉ. सचिन कुमार ने बीएड-एमएड प्राध्यापकों के योगदान और उनके कठिन कार्यों पर विस्तृत चर्चा करते हुए सरकार से समायोजन की मांग की। आज के एकदिवसीय धारण में प्रदेश के सातों विश्वविद्यालयों के सैकड़ों प्राध्यापकों ने भाग लिया और पूर्ण वेतनमान तक हक की लड़ाई के लिए आंदोलन जारी रखने का आह्वान भी किया।
धरना के पश्चात राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई। मंच का संचालन राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय कांके के सहायक प्राध्यापक डॉ. ओम प्रकाश ने किया।
संघ के सभी सदस्यों का कहना है कि राज्य सरकार के आदेश से विश्वविद्यालय द्वारा खोले गए बीएड-एमएड कोर्स में कार्यरत सभी प्राध्यापकों का स्थायीकरण उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और रांची विश्वविद्यालय के टीआरएल डिपार्टमेंट की तर्ज पर किया जाए, क्योंकि प्रदेश में सरकारी स्तर पर टीचर ट्रेनिग कोर्स को प्रारंभ करने, नियमित रूप से संचालित करने और स्कूली शिक्षा को मेधावी, प्रतिभावान और योग्य शिक्षक उपलब्ध कराने में हमारा अहम योगदान रहा है। जबकि आज के बढ़ती महंगाई के दौर में बीएड-एमएड कोर्स में कार्यरत सभी प्राध्यापक अत्यंत अल्प मानदेय से जीवन यापन करने को मजबूर हैं

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें