बालिका विद्यालय में इको क्लब फॉर मिशन लाइफ दिवस का आयोजन
- विकास की दौड़ में हमें प्रकृति का साहचर्य नहीं भूलना चाहिए : डॉ. लीना मिश्र
लखनऊ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में जहां सृजनात्मक क्षमता के विकास पर जोर दिया गया है, वहीं विद्यार्थियों को खुले आसमान के नीचे दौड़ने, खेलने, कूदने और अपनी शारीरिक क्षमता को विकसित करने को प्रवृत्त किया गया है। साथ ही प्रकृति से साहचर्य बनाकर चलना भी उन्हें प्रकारांतर से सिखाए जाने का प्रावधान भी किया गया है। इस शिक्षा नीति में इस बात पर जोर दिया गया है कि बल बुद्धि का विकास कर विद्यार्थी देश की सेवा में तो अपना शत-प्रतिशत अवदान दें ही, साथ ही स्वरोजगार की ओर भी प्रवृत्त हों। विद्यार्थीगण हर तरह से सक्षम होकर देश और समाज की सेवा में तो प्रकारांतर से अपना अवदान दे पाने में सक्षम हों ही, उनके व्यक्तित्व का चौमुखी विकास भी हो ताकि केवल भाग्य भरोसे किसी एक नौकरी या उसके पाने के प्रयास में न बैठें बल्कि अनुकरणीय व्यक्तित्व के मालिक बन सकें और दूसरों को रोजगार दें। ऐसा वक्तव्य देते हुए बालिका विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. लीना मिश्र ने प्रकृति से जुड़ने को प्रवृत्त होने के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रम में शिक्षिकाओं और छात्राओं का इस ओर ध्यानाकर्षण और उत्साहवर्धन किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर आज छठे दिन इको क्लब फॉर मिशन लाइफ दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें पेड़ लगाओ अभियान के अंतर्गत एक पेड़ मां के नाम के विचार के साथ विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. लीना मिश्र, समस्त शिक्षिकाओं, छात्राओं एवं उनकी माताओं के द्वारा विद्यालय में बहुत सारे औषधीय पौधे लगाए गए।
इस कार्यक्रम का आयोजन श्रीमती उत्तरा सिंह, रागिनी यादव और रितु सिंह के निर्देशन में हुआ। सीमा आलोक वार्ष्णेय, शालिनी श्रीवास्तव, पूनम यादव, अनीता श्रीवास्तव, माधवी सिंह व मंजुला यादव ने कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा सहयोग किया। सभी ने मिलकर तुलसी, एलोवेरा, अजवाइन, नीम, गुलाब, सहजन, गिलोय, आम, लहसुन आदि पौधे लगाए। छात्राओं को प्रेरित किया कि वे सभी लगाए गए पौधों की देखभाल करेंगे। पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इको क्लब की भी स्थापना की गई। छात्राओं ने पर्यावरण के महत्व को बताते हुए कविताएं और गीत प्रस्तुत किए तथा पोस्टर्स भी बनाए। इसके साथ ही सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छात्राओं द्वारा पॉलिथीन से होने वाले नुकसान को बताते हुए नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया।



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