सनातन इकोनॉमी ने रामलला के प्राण प्रतिष्‍ठा के दौरान देश के ट्रेडर्स को चौंकाया

नई दिल्ली। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्‍ठान में शामिल होने के लिए अयोध्‍या पहुंचे देश-विदेश के रामभक्‍तों के उत्‍साह ने पूरा वातावरण राममय बना दिया है। अयोध्‍या के इसी राममय माहौल में पूरे विश्‍व को सनातन इकोनॉमी की ताकत भी दिखी। अर्थव्‍यवस्‍था को जबरदस्‍त उछाल देने वाले इस अवसर का कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आकलन कर बताया है कि एक मोटे अनुमान के मुताबिक राम मंदिर के इस आयोजन से देशभर में करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। 

कैट का दावा है कि इसमें अकेले दिल्ली में लगभग 25 हजार करोड़ और उत्तर प्रदेश में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का सामान और सेवाओं के जरिए व्यापार हुआ है। कैट ने यह अनुमान जनवरी 2024 में 22 तारीख तक की व्‍यापारिक गतिविधियों के आधार पर निकाला है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने मंगलवार को मीडिया को बताया कि देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आस्था एवं भक्ति के कारण देश के बाजारों में इतनी खरीदारी हुई है। उन्‍होंने कहा कि विशेष बात ये है कि यह सारा व्यापार छोटे व्यापारियों एवं लघु उद्यमियों ने किया।

अर्थव्‍यवस्‍था में सनातन इकोनॉमी ने नया अध्‍याय जोड़ा

उन्‍होंने कहा कि अनुमान है कि यह पैसा व्यापार में आर्थिक तरलता को और बढ़ाएगा। अर्थव्यवस्था में सनातन इकोनॉमी का यह जो एक नया अध्याय जुड़ा है, इसके देशभर में और विस्तार लेने की संभावनाएं दिख रही हैं। कहा, श्रीराम मंदिर की वजह से देश में व्यापार के अनेक नए अवसर मिलने की संभावना दिख रही है। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा। खंडेलवाल ने बताया कि कैट के 'हर शहर अयोध्या-हर घर अयोध्या' राष्ट्रीय अभियान के तहत 01 से लेकर 22 जनवरी तक देश के 30 हजार से ज्‍यादा छोटे-बड़े व्यापारिक संगठनों ने देशभर में डेढ़ लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए। जिसमें अकेले 22 जनवरी को ही एक लाख से ज्‍यादा आयोजन हुए।

आय का ये सब बने माध्‍यम 

उन्होंने बताया कि इन कार्यक्रमों में प्रमुख रूप से करीब दो हजार शोभायात्रा, पांच हजार से अधिक बाजार में राम फेरी, 1000 से अधिक श्रीराम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज्‍यादा संगीतमय राम भजन एवं राम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए। बताया कि देशभर में करोड़ों की संख्या में राम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार और राम मंदिर के चित्र आदि की जबरदस्त बिक्री हुई। उन्होंने बताया कि करोड़ों किलो मिठाई एवं ड्राई फ्रूट की भी प्रसाद के रूप में बिक्री की गई। करोड़ों रुपये के पटाखे, मिट्टी के दीपक, पीतल एवं अन्य वस्तुओं से बने दीपक की भी खूब बिक्री हुई। इससे देशभर में पंडितों एवं ब्राह्मणों को भी बड़े पैमाने पर आय हुई।


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