झारखण्ड राज्य बीएड-एमएड प्राध्यापक संघ ने उठाई पद सृजन और सेवा स्थायीकरण की मांग
रांची। झारखण्ड राज्य के सरकारी विश्वविद्यालय और उसके अंगीभूत महाविद्यालयों में सत्र 2005-2006 से संचालित बीएड-एमएड कोर्स में कार्यरत सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापकों की आज ऑनलाइन बैठक संघ के संरक्षक प्रो.(डॉ.) तनवीर यूनुस और अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार की संयुक्त अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इसमें राज्य सरकार से झारखण्ड राज्य बीएड-एमएड प्राध्यापक संघ ने पद सृजन और सेवा स्थायीकरण की मांग उठाई।
पिछले वर्ष बजट सत्र में झारखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष ने सदन में आश्वासन दिया था कि सभी सरकारी विश्वविद्यालय और उसके अंगीभूत महाविद्यालयों में जहां पहले से बीएड और एमएड कोर्स की पढ़ाई चल रही है, वहां शिक्षा विभाग की स्थापना होगी। यह भी कहा था कि कार्यरत सभी शिक्षकों का स्थायीकरण और वेतनमान के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनकर समायोजित किया जाएगा।
सरकार दे रही है सिर्फ आश्वासन
संघ का कहना है कि आज 19 वर्ष पूरा होने के बावजूद सरकार बीएड और एमएड कोर्स के शिक्षकों को केवल आश्वासन ही दे रही है, जबकि उत्तर प्रदेश और दूसरे प्रदेशों में केवल 10 वर्षों में विभाग की स्थापना कर स्थायीकरण करने की प्रक्रिया नियमित रूप से किया जा रहा है।
संघ के अनुसाार अपनी इस मांग को लेकर प्रदेश के सभी विधाकयगण, मंत्रीगण और संबंधित विभाग के सचिव को ज्ञापन देने और आग्रह करने का सुझाव संघ के संरक्षक प्रो.(डॉ.) तनवीर यूनुस ने दिया था। संघ के अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि पिछले दिनों उच्च न्यायालय का निर्णय और निर्देश झारखण्ड के सभी संविदा पर कार्यरत लोगों के स्थायीकरण और नियमितीकरण के संदर्भ में मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुआ है, जिसमे स्पष्ट निर्देश है कि संबंधित विभाग को मांग पत्र दिया जाना चाहिए। इसके लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को एक सप्ताह के अंदर प्रदेश के तीन सरकारी विश्वविद्यालयों में संचालित एमएड और 22 कॉलेजों में संचालित बीएड कोर्स के शिक्षक मिलकर यथाशीघ्र ज्ञापन सौंपने का कार्य करेंगे।
संघ के महासचिव डॉ. सचिन कुमार ने कहा कि सरकार को तत्काल बढ़ती महंगाई और कैरियर को देखते हुए यूजीसी ग्रेड-पे के अनुसार एक सामन मानदेय देना चाहिए। एक ही राज्य में एक ही कोर्स में अलग-अलग मानदेय दिया जाना एक प्रकार का आर्थिक शोषण है, इस विसंगति को दूर किया जाना चाहिए।
संघ के उपाध्यक्ष डॉ. विशेश्वर यादव ने कहा कि बीएड और एमएड कोर्स के लिए उच्च शिक्षा विभाग से संकल्प पत्र जारी होने पर ही इस विसंगति से मुक्ति मिल सकेगी। इसके लिए एक मांग पत्र उच्च शिक्षा सचिव को देने का निर्णय लिया गया है।
कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. संजय भुईयां ने संघ की दिवगंत सदस्य शांति बारला की असामयिक मृत्यु का मुद्दा उठाया। साथ ही उनके परिवार को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ आश्रित को अनुकंपा के आधार पर संविदा स्तर की नौकरी देने हेतु विश्वविद्यालय से नीति बनाकर करने के वास्ते अनुरोध पत्र देने का कार्य संघ द्वारा किये जाने की बात कही। जिस पर सहमति बनी। इस पर चिंता जगाई गई कि सभी विश्वविद्यालयों में करोड़ों रुपये शिक्षण शुल्क के बचे हुए हैं। अब तक प्रदेश के तीन शिक्षक दिवगंत हो चुके हैं और किसी के परिवार और बच्चों को किसी भी प्रकार की सहायता विश्वविद्यालय और राज्य सरकार से अब तक प्राप्त हुई है। इसलिए सभी विश्वविद्यालयों में पर शिक्षकों के तर्ज पर कल्याण कोष गठन करने के लिए ज्ञापन देने का भी निर्णय लिया गया।
इस ऑनलाइन बैठक में कोल्हान विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुचित्रा बेहरा, जमशेदपुर विमेंस युनिवर्सिटी के बीएड विभाग के प्राध्यापक डॉ.कविता एवं डॉ.स्वेता प्रति कुजूर, द ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर विमेन से प्रो. प्रति सिंह एवं गीता महतो, डोरंडा कॉलेज और रांची से डॉ. मनोज कुमार सहित आदि प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।
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