नीतीश मोदी के संसदीय क्षेत्र से फूंकेंगे चुनावी बिगुल, यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए जदयू ने कदम बढ़ाया

 

पटना/वाराणसी। एमके श्रीवास्‍तव

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के शीर्ष नेता नीतीश कुमार उत्‍तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से चुनावी बिगुल फूंकेंगे। नीतीश के कार्यक्रम को लेकर जोर-शोर से तैयारियों में जुटे जदयू का इसे बिहार से बाहर निकलकर लोकसभा चुनाव को लेकर दिल्‍ली की ओर कदम बढ़ाने का गंभीर प्रयास माना जा रहा है। 

विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए इस साल के शुरुआती महीनों में सक्रिय हुए नीतीश की पहल के कारण इंडिया गठबंधन (आईएनडीआईए) अस्तित्‍व में आया। इसमें गठबंधन का स्‍वरूप सामने आने से पहले नीतीश की पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी और पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात काफी चर्चा में रही थी। ऐसी चर्चा है कि समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को पूर्वांचल के कुर्मी बहुल इलाके से लोकसभा चुनाव में उतार कर जातीय गोलबंदी को और मजबूत किया जाए।   

इन्‍हीं कोशिशों को जदयू भी अमली जामा पहनाने में लगा है। अगले लोकसभा चुनाव में जदयू और इंडिया गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने के लिए वाराणसी की रोहनिया विधानसभा में 24 दिसम्बर को नीतीश जनसभा करेंगे। पूर्वांचल के कुर्मी बहुल क्षेत्र में नीतीश जातिगत चुनावी समीकरण साधने के साथ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा भी खोलेंगे। शनिवार को यूपी के वाराणसी आये बिहार सरकार के मंत्री और यूपी प्रभारी श्रवण कुमार की सक्रियता इन्‍हीं मुद्दों को लेकर रही। उन्‍होंने रोहनिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यूूपी में लोकसभा चुनाव से पहलेे होने वाली जनसभा के बाबत पुष्टि की। 

अखिलेश भी कर सकते हैं मंच साझा  

जानकार बताते हैं कि जदयू की इस जनसभा को सपा का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। यही नहीं, रोहानिया में नीतीश कुमार के साथ सपा प्रमुख अखिलेश भी मंच साझा कर सकते हैं। भाजपा की रीति-नीति के मुखर आलोचक नीतीश कुमार पूरे देश में जातीय जनगणना कराये जाने की जोरदार वकालत कर रहे हैं। नीतीश ने पूरे देश में सबसे पहले अपने राज्‍य बिहार में जातीय जनगणना कराकर आरक्षण का कोटा बढ़ाते हुए इसे लागू भी किया है। यह अलग बात है कि अभी यह मामला कोर्ट में जा चुका है।

साल 2023 के शुरुआती महीनों में अखिलेश से मुलाकात के बाद से ही राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि नीतीश कुमार यूपी के फूलपुर, बनारस, अम्बेडकर नगर अथवा प्रतापगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे, आईएनडीआईए गठबंधन में नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में एक माने जाते हैं। हालांकि कई मौकों पर मीडिया के सवाल पर नीतीश प्रधानमंत्री बनने की इच्‍छा और प्रयासों को खारिज कर चुके हैं। 

सियासी जानकार नीतीश के यूपी में सक्रिय होने पर जातीय समीकरणों पर असर पड़ने को तय मान रहे हैं। इससे अखिलेश की पिछड़ा, दलित और अल्‍पसंख्‍यक (पीडीए) को केंद्र में रखकर की जा रही सियासत को और मजबूती मिल सकती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्‍प होगा कि चुनावी सियासी धुरंधर भाजपा सपा-जदयू और उनके साथियों की रणनीति को कैसे छिन्‍न-भिन्‍न करती है।


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