बीजेपी संग सियासी पींगें बढ़ा रहे ओमप्रकाश राजभर बोले, अखिलेश संग तलाक के पेपर तैयार
- योगी सरकार ने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को दी वाई श्रेणी की सुरक्षा
लखनऊ। कुछ महीने पहले अपने काफिले पर हमला होने के बाद समाजवादी पार्टी के साथ धरना देने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की भारतीय जनता पार्टी से नजदीकी बढ़ने के बाद उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा योगी सरकार ने उपलब्ध करा दी है। शुक्रवार को सुरक्षा मिलने का मामला सामने आने के बाद जब राजभर से सवाल होने लगे तो उन्होंने कहा, ‘अखिलेश जी के साथ तलाक के पेपर तैयार हो चुके हैं, बस हस्ताक्षर होने बाकी हैं।’
वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने पर राजभर ने इसे राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के साथ जाकर द्रौपदी मुर्मू को वोट करने पर तोहफा मिलने की बात मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर दो साल से प्रदेश सरकार से पत्राचार कर रहे थे। गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात भी की थी। इस मामले में विभिन्न एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट दे दी थी। राजभर का दावा है कि उन्हें 15 जुलाई को ही वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान किए जाने का आदेश जारी हो गया था, जबकि राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वोट तो इसके बाद डाले गए हैं। राजभर ने कहा कि हमारे ऊपर कई बार हमले हुए हैं। जिसको लेकर मैंने प्रमुख सचिव गृह को कई बार पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने सुरक्षा उपलब्ध कराई।
राजभर यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और प्रदेश अध्यक्ष व जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात करने के साथ ही भगवा खेमे के करीब दिखने लगे थे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नसीहत देने से समाजवादियों की निगाह में वह चढ़ने लगे थे। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा के उपचुनाव के नतीजों के बाद राजभर की तीखी नसीहतों पर आखिरकार अखिलेश बोल ही पड़े, ‘उन्हें किसी के सलाह की जरूरत नहीं है।’
राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान बीती 07 जुलाई को यूपी में प्रचार करने के लिए आए विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजभर को नहीं बुलाकर अखिलेश ने साफ कर दिया कि राजभर को गठबंधन में अपनी सीमा समझनी होगी। नतीजा यह हुआ कि राजभर 08 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू से मिलने के लिए सीएम के सरकारी आवास पर आयोजित रात्रि भोज में पहुंच गए और एक हफ्ते बाद मीडिया से मिलकर उन्होंने साफ कह दिया कि उनकी पार्टी द्रौपदी मुर्मू को वोट देगी।
राजभर इंतजार कर रहे हैं अखिलेश की पहल का
राजभर की भविष्य की सियासी जरूरत और बीजेपी की अखिलेश को कमजोर करने की रणनीति में उनका शामिल होना अगले लोकसभा चुनाव के लिए भगवा खेमे की दूरगामी सियासत का नतीजा है। राजभर इंतजार कर रहे हैं कि अखिलेश खुद उन्हें सपा गठबंधन से बाहर कर दें, जिससे उन पर तोहमत नहीं लगे। सपा से तलाक के पेपर तैयार हो जाने की बात कहने वाले राजभर इसके बाद योगी सरकार में मंत्री बनने में जरा भी देर नहीं करेंगे, वरना जनता के बीच बार-बार सफाई देनी पड़ेगी कि ‘वह मतलबी यार नहीं हैं’। वैसे, सियासत में भरोसे का कोई मतलब नहीं होता है। सभी अपने फायदे के हिसाब से गठबंधन बनाते और तोड़ते रहते हैं, इसे यूपी की सियासत पर नजर रखने वाले अरसे से देखते आ रहे हैं।

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