राष्ट्रपति चुनाव: मोदी की स्ट्राइक, विपक्ष धराशायी
- बीजेपी नीत राजग के रणनीतिकारों ने सपा, एनसीपी और असम में कांग्रेस के गठबंधन के साथियों के वोट भी द्रौपदी मुर्मू को दिलाए
- मतदान का नतीजा 21 जुलाई को आएगा और देश के नए राष्ट्रपति को 25 जुलाई को शपथ दिलाई जाएगी
नई दिल्ली। मधुरेन्द्र श्रीवास्तव
देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान पूरा हो गया, लेकिन पहले से ही बिखरा दिख रहा विपक्ष मतदान वाले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बनाई गई रणनीति के सामने पस्त दिखा। भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की स्ट्राइक से उत्तर प्रदेश, असम और महाराष्ट्र में मतदान के दौरान सेंधमारी से विपक्षी खेमा धराशायी नजर आया।
राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा 21 जुलाई को आएगा लेकिन उससे पहले राजग के रणनीतिकारों ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के शिवपाल सिंह यादव के अलावा बरेली से विधायक शहजिल इस्लाम, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र के एक विधायक और असम में कांग्रेस गठबंधन के प्रमुख साथी एआईयूडीएफ के 15 विधायकों का वोट अपनी प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को दिलवा दिया। इन सभी विधायकों ने सामने आकर यह स्वीकार किया कि उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। विपक्षी एकता कमजोर नहीं होती तो ये वोट संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को मिलते। इसमें दिलचस्प तथ्य यह है कि सपा विधायक शहजिल इस्लाम के पेट्रोल पंप को अवैध जमीन पर बना होने के आरोप में ‘बाबा के बुलडोजर’ ने पिछले दिनों ढहा दिया था। इसके बावजूद शहजिल इस्लाम ने अपना वोट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के समर्थन वाले प्रत्याशी को नहीं दिया।
ममता की चाल से नाखुश थी कांग्रेस
राष्ट्रपति चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली आकर प्रत्याशी चयन को लेकर एकजुटता बनाने की कोशिश की थी लेकिन ममता जिस तेजी से खुद को केंद्र में रखकर यह सब कर रही थी, उससे विपक्ष का एक खेमा खासकर कांग्रेस पार्टी का असंतोष साफ दिख रहा था। हालांकि कांग्रेस ने इसको लेकर खुलकर कभी कुछ नहीं कहा, पर कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पीछे रखकर अपनी सियासत को चमकाने की यह चाल उसे पसंद नहीं आ रही थी।
नाम घोषित होते ही विपक्षी एकता हो गई छिन्न-भिन्न
विपक्ष की इन बैठकों पर नजर रख रहे राजग ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान कर विपक्षी एकता को छिन्न-भिन्न कर दिया। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कहना पड़ा कि वे लोग द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे। महाराष्ट्र में अपनी पार्टी में बगावत से जूझ रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को भी अपने अधिकांश सांसदों के दबाव में द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में खड़ा होना पड़ा। यूपी में प्रमुख विपक्षी दल सपा अपने गठबंधन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को अपने साथ नहीं रख पाई और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भी अपने 06 विधायकों के साथ द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया। दिल्ली में मुस्तफाबाद के विधायक हाजी युनूस के हज यात्रा पर होने तथा केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के जेल में बंद होने के कारण ये दो वोट भी विपक्षी प्रत्याशी को नहीं मिल सके।
राजग को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है ‘आज का विपक्ष’
राष्ट्रपति के चुनाव में राजग प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को जीत के लिए 5.50 लाख वोट की जरूरत है, पर प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति की वजह से मतदान से पहले ही 6.67 लाख से अधिक वोट का इंतजाम करता हुआ सत्ताधारी दल दिखने लगा था। विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा बेहतरीन राजनेता होने के बावजूद बिखरे विपक्ष की वजह से चुनौती देने की स्थिति में नहीं दिख रहे। हालांकि चुनाव नतीजे 03 दिन बाद घोषित हो जाएंगे और निर्वाचित प्रत्याशी को 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति की शपथ दिला दी जाएगी, पर इससे यह साफ हो गया है कि ‘आज का विपक्ष’ सन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नीत राजग को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है।

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