जननी के चरण पखारे, पावागढ़ पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जगतजननी महाकाली के दरबार फहरायी ध्वजा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को अपने गृह प्रदेश गुजरात के दो दिवसीय प्रवास पर पहुंचे। यहां सबसे पहले गांधीनगर में अपनी मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने उनसे भेंट की। नरेन्द्र मोदी ने पहले अपनी मां के चरण पखारे और उस जल को आंखों से लगाकर अपनी जननी को गुलाब के फूलों की माला पहनाकर उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। मां को खुद मिठाई खिलाई और फिर उनके हाथों से मीठा खाने के साथ इन भावुक पलों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मां’ नाम से एक ब्लॉग भी लिखा। इसमें उन्होंने लिखा कि मेरी मां जितनी सरल हैं उतनी असाधारण भी हैं, जैसे की सभी माताएं होती हैं।
गांधीनगर के कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित पावागढ़ पहुंचे। मां आदिशक्ति दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक मां काली का मंदिर पावागढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है। इस पुननिर्मित मां काली के भव्य मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री मोदी ने ध्वजा फहराई। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘आज पावागढ़ और पंचमहल की तपस्या सिद्ध हुई।’
अब से 500 वर्ष पूर्व मुस्लिम आक्रांता महमूद बेगड़ा ने 52 शक्तिपीठों में से एक महाकाली के इस मंदिर के शिखर को आक्रमण के दौरान ध्वस्त कर दिया था। तब से यहां शिखर पर ध्वजा की पुनर्स्थापना नहीं हुई थी, जिसका स्वप्न 18 जून को यहां उपस्थित श्रद्ालुओं सहित समस्त सनातनधर्मियों ने पूरा होते देखा। पावागढ़ की पहाड़ियों पर स्थित मां काली के मंदिर को पुनर्विकसित किया गया है। यहां 500 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़कर श्रद्धालु इस शक्ति पीठ में महाकाली के दर्शन के लिए सदियों से आते रहे हैं। अब इस पुनर्विकसित मंदिर तक जाने के लिए रोप वे की भी सुविधा दर्शनार्थियों के लिए उपलब्ध कराई गई है। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए यहां अन्य व्यवस्था भी की गई है।
पंचमहल जिले में पावागढ़ के बाद प्रधानमंत्री मोदी बडोदरा के कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की सराहना करते हुए उन वरिष्ठ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को याद किया, जिनके साथ उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां आते समय ऐसे कई लोगों से नमस्कार करने का अवसर मिला, जिनकी उंगली पकड़ कर राजीनिति में मैं आगे बढ़ा। ऐसी कई माताओं-बहनों से आमने-सामने होने का अवसर मिला, जिनके हाथों की रोटी मैंने खाई है।

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