शिवसेना को दो फाड़ होने और सिंबल बचाने में जुटे उद्धव ठाकरे
- मधुरेन्द्र श्रीवास्तव
महाराष्ट्र की सियासत में महाविकास अघाड़ी सरकार को उखाड़ देने और बचाए रखने के लिए मुंबई से असम के गुवाहाटी तक चल रहे दांव-पेच में अब शिवसेना की सारी कोशिश अपने पार्टी सिंबल ‘तीर-कमान’ को बचाने तक सिमटती दिख रही हैं। बीते 72 घंटे से भी ज्यादा समय से चल रहे महाराष्ट्र के इस हाईवोल्टेज सियासी ड्रामे ने यह साफ कर दिया है कि बात सिर्फ मुख्यमंत्री को हटाने या बनने तक नहीं बल्कि शिवसेना को दो फाड़ करने की तरफ बढ़ चुकी है। जिसमें मौजूदा परिस्थितियों में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को उनके ही सिपहसालार एकनाथ शिंदे से भारी चुनौती मिल रही है।
जाहिर है कि अगले कुछ घंटे शिवसेना के लिए बेहद अहम हैं, जिसमें यह साफ हो जाएगा कि सिंबल और संगठन बचेगा, या फिर 55 विधायकों वाली शिवसेना के 37 विधायकों को तोड़कर एकनाथ शिंदे पार्टी के साथ-साथ सिबंल पर भी दावा ठोक देंगे। बागी विधायकों को लेकर गुवाहाटी से उद्धव ठाकरे को लगातार घेरने में जुटे एकनाथ शिंदे को शिवसेना के 17 सांसदों में से भी कई एमपी का समर्थन मिलने का दावा किया जा रहा है। शिवसेना के 30 और अन्य चार विधायकों सहित कुल 34 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल तक पहुंचा चुके एकनाथ शिंदे के खेमे ने गुरुवार को नया दावा किया कि उसके पास अब 45 विधायकों का समर्थन है।
दरअसल, बुधवार को बागियों को सामने आकर इस्तीफा मांगने की चेतावनी देने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सीएम आवास वर्षा भवन को छोड़कर मातोश्री जरूर आ गए हैं, पर उन्होंने इस्तीफा राज्यपाल तक नहीं भेजा है। वहीं, उद्धव ठाकरे को चुनौती दे रहे उनके सिपहसालार एकनाथ शिंदे असम से अपने समर्थक विधायकों की तस्वीर और वीडियो जारी करते हुए शिवसेना पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन से बाहर निकलने के लिए दबाव बनाए हुए हैं।
उद्धव ठाकरे की इस बात पर भी एकनाथ शिंदे राजी नहीं दिख रहे हैं, जिसमें शिवसेना प्रमुख ने यह कहा था कि वह अध्यक्ष पद भी छोड़ने के लिए तैयार हैं। यह भी कहा, ‘उन्हें खुशी होगी कि यदि कोई शिवसैनिक ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने।’
शिवसेना में बगावत की कमान संभाले एकनाथ शिंदे न तो अभी मुंबई आने का कोई संकेत दे रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री बनने के उद्धव ठाकरे के स्पष्ट संदेश के जवाब में खुलकर कुछ कह रहे हैं। बताया जाता है कि एकनाथ शिंदे के सांसद पुत्र श्रीकांत शिंदे महाराष्ट्र से शिवसेना के अन्य सांसदों को अपने पिता के खेमे की तरफ मोड़ने के काम में लगे हुए हैं। इसमें एकनाथ शिंदे के उन सांसदों से अपने व्यक्तिगत रिश्ते भी इस समय काम आ रहे हैं। राज्यसभा व लोकसभा सांसदों और विधायकों के भारी समर्थन का दावा कर रहे एकनाथ शिंदे में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को बुरी तरह से घेर रखा है। उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी और भरोसेमंद नेता रहे एकनाथ शिंदे की इस चाल से मुख्यमंत्री को अभी तक बाहर निकलने का कोई ठोस रास्ता नहीं मिल सका है। महाराष्ट्र विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को यह स्थिति अपने लिए बेहद मुफीद लग रही है। शिवसेना के कमजोर होने, दो फाड़ होने और सिंबल के झंझट में फंस जाने का मतलब है महाराष्ट्र में हिंदुत्ववादी राजनीति में उसका दावा और दखल और मजबूत हो जाएगा।
शिवसेना का एक और विधायक वापस लौटा, कहा-जबरन ले गए थे सूरत
बुधवार 22 जून को मुंबई वापस लौटकर शिवसेना और उद्धव ठाकरे में अपनी आस्था जताने वाले पार्टी के विधायक नितिन देशमुख के बाद गुरुवार को एक और विधायक मातोश्री पहुंचे। एकनाथ शिंदे खेमा छोड़कर वापस आए शिवसेना के विधायक कैलाश पाटिल का कहना है कि मैं बहुत मुश्किल से वापस मुंबई आया हूं। कैलाश पाटिल का दावा है कि ऐसे बहुत से विधायक वहां फंसे हुए हैं और वो मजबूरी के कारण वापस नहीं आ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमको जबरन सूरत लेकर जाया गया था। मैं वहां कई किलोमीटर तक भागा था और फिर वहां से मुंबई आ सका।
इससे पहले विधायक नितिन देशमुख ने भी कहा था कि उन्हें जबरन सूरत ले जाया गया। वहां पुलिस और अन्य लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया। उन्हें इंजेक्शन लगाया और प्रचारित किया गया कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। नितिन देशमुख ने कहा कि वह पूरी तरह से ठीक हैं। उन्हें जबरदस्ती सूरत ले जाया गया था। इसी के बाद एकनाथ शिंदे ने उनका प्लेन में बागी विधायकों के साथ सवार होने से पहले की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी कर दी।

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