यूपी से बीजेपी-सपा सहित सभी 11 उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय

 

  • बीजेपी के 08 राज्यसभा उम्मीदवारों ने किया नामांकन, भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों में चार पिछड़े समुदाय से और दो महिलाएं, दलित समुदाय को भी मिला प्रतिनिधित्व

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के यूपी से राज्यसभा के 08 उम्मीदवारों ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया। राज्यसभा की रिक्त हो रही 11 सीटों के चुनाव के लिए बीजेपी के इन आठ उम्मीदवारों के अलावा समाजवादी पार्टी जावेद अली खान, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और सपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी इससे पहले नामांकन दाखिल कर चुके हैं। इन सभी 11 उम्मीदवारों के अलावा किसी और के पर्चा दाखिल नहीं करने के कारण इन सभी का निविर्रोध निर्वाचित तय होना है। नाम वापसी के अंतिम दिन इन सभी के विजयी होने की आधिकारिक रूप से घोषणा कर दी जाएगी।

बीजेपी के उम्मीदवारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की मौजूदगी में मंगलवार को विधानसभा में नामांकन किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दर्शना सिंह, पूर्व विधायक संगीता यादव, गोरखपुर शहर के पूर्व विधायक डाॅ. राधामोहन दास अग्रवाल, राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बाबूराम निषाद, गुर्जर समाज का बड़ा चेहरा और अभी राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, दलित समुदाय से पूर्व विधायक मिथिलेश कुमार और हैदराबाद के रहने वाले भाजपा पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण ने 31 मई को नामांकन किया। 

डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके ही कार्यकाल में हुए लोकसभा 2014 के चुनावों में प्रदेश में भाजपा को सवाधिक 75 सीटें मिलीं थीं। वह चार बार मेरठ सदर सीट से विधायक और पूर्व मंत्री भी रहे हैं। महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली दर्शना सिंह महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। संगीता यादव पिछले चुनाव में गोरखपुर की चौरीचौरा सीट से विधायक चुनी गई थीं। इस बार उनकी सीट गठबंधन में निषाद पार्टी के खाते में जाने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ सकीं थीं। अभी वह भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री भी हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल गोरखपुर शहर से लगातार चार बार विधायक रहे हैं। उस सीट पर इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण उनको सीट छोड़नी पड़ी थी।  

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